Anganwadi Employees DA Hike: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन में बड़ी बढ़ोतरी, हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
Anganwadi Employees DA Hike: गुजरात हाई कोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को राहत देते हुए उनके मानदेय में भारी बढ़ोतरी का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि अब उन्हें न्यूनतम जीवन निर्वाह वेतन मिलना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में दिया जाने वाला मानदेय बेहद कम और असमान है। कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश की हजारों आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं लाभान्वित होंगी।
न्यूनतम वेतन में दो गुना से अधिक की बढ़ोतरी
अदालत के आदेश के अनुसार अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ₹10,000 की जगह सीधा ₹24,800 मासिक वेतन मिलेगा। वहीं सहायिकाओं का मानदेय ₹5,500 से बढ़ाकर ₹20,300 कर दिया गया है। यानी अब किसी भी स्थिति में इससे कम भुगतान नहीं किया जा सकेगा। कोर्ट ने कहा कि इन कर्मचारियों की जिम्मेदारियों की तुलना में अब तक दिया जाने वाला वेतन बेहद अपर्याप्त था।
जिम्मेदारियों के अनुरूप फैसला
सुनवाई के दौरान जस्टिस ए.एस. सुपेहिया और जस्टिस आर.टी. बचहानी की खंडपीठ ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता न सिर्फ बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा का ध्यान रखती हैं, बल्कि ग्रामीण और शहरी गरीब वर्ग तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने में भी अहम भूमिका निभाती हैं। इसके बावजूद उन्हें मिलने वाला मानदेय इतना कम था कि वे अपने परिवार का सही ढंग से पालन-पोषण भी नहीं कर पा रही थीं। यह स्थिति संविधान के अनुच्छेद 21 का सीधा उल्लंघन है।
1 अप्रैल 2025 से लागू होगा आदेश
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नया वेतनमान वर्तमान वित्तीय वर्ष से ही लागू किया जाएगा। यानी 1 अप्रैल 2025 से सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं बढ़े हुए वेतन की हकदार होंगी। इसके अलावा, उन्हें पिछले महीनों का एरियर भी दिया जाएगा। अनुमान है कि इस फैसले से प्रदेश की लगभग एक लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को लाभ पहुंचेगा।
जीवन स्तर में सुधार की उम्मीद
न्यायालय ने कहा कि आंगनबाड़ी कर्मचारियों को उचित और न्यूनतम जीवन निर्वाह वेतन मिलने से उनके परिवारों की बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकेंगी। पहले जो वेतन उन्हें दिया जा रहा था, वह उनके कठिन परिश्रम और कार्यभार के अनुपात में बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं था। कोर्ट ने इसे न सिर्फ अन्यायपूर्ण बताया, बल्कि कहा कि यह कर्मचारियों की गरिमा के खिलाफ भी है।
सभी पर लागू होगा फैसला
अदालत ने साफ कर दिया कि यह आदेश राज्य की सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं पर लागू होगा, चाहे उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया हो या नहीं। साथ ही यह भी कहा गया कि आगे अगर राज्य या केंद्र सरकार वेतनमान में कोई बदलाव करती है, तो यह आदेश उसके अनुरूप संशोधित किया जा सकता है।
ऐतिहासिक माना जा रहा फैसला
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला न सिर्फ गुजरात बल्कि देशभर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए मिसाल बन सकता है। लंबे समय से अपने मानदेय में बढ़ोतरी की मांग कर रही इन महिलाओं के लिए यह निर्णय जीवन स्तर सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
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गुजरात हाई कोर्ट के फैसले से हम सहमत है क्योंकि मैं भी कार्यकर्ता हूं मुझे मेरी आवश्यकताओं या परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण परिवार संभालना मुश्किल होता जा रहा है आंगनवाड़ी का कार्य बहुत काम करना पड़ता जो बहुत कठिन है और ऑनलाइन काम करना पड़ता हैं बेरोजगारी बढ़ती जा रही है और में एक किसान की बेटी बहु हूं मुझे घर चलाना बहुत कठिन है
इसलिए हाई कोर्ट को मैं धन्यवाद देना चाहती हूं कि हमारा मानदेय 24800 हो जाए तो हमारा जीवन व्यवस्थित ढंग से चल सके और में राजस्थान सरकार को भी कहना चाहती हूं कि हमें राहत मिल सके धन्यवाद्
बिहार जिला समस्तीपुर थाना ताजपुर ग्राम पोस्ट मधेपुर घर सोगर ट्रेन नंबर व्हाट पिन कोड 848122 रिंकू कुमारी पति चंदन कुमार